क्यों भुला बैठे हम शहीदों को ?
द वेक टीम वाद -विवाद प्रतिभागियों को सुनते हुए |
BDMI ' की शिक्षिका श्रीमती घाटे व् अन्य वाद -विवाद प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को ध्यान से सुनती हुयी |
बिदीएम आई छात्रो के अनुसार निम्नलिखित कारण
१. मधुरा मोइत्रा ,मेरा देश महान कहने से देश महान नही होता बल्कि हमें अच्छे कार्य करने होंगे जिनसे हम अपने देश को दुनिया के सामने महान दिखा सके .
२. सायंतन दत्ता ,हम आजादी के मूल्य कों भूल चुके है |यही वजह है कभी गाँधी जी के जूते की नीलामी करते है तो कभी उनका चश्मा चोरी हो जाता है |
३. एस. कृष्णमूर्ति . शहीदों के चित्रों के आगे फूल -मालाये चढाने का मतलब उन्हें याद करना नही होता वरन उनके विचारों को जिन्दा रखना होता है |
४. सोहम सत्यधर्मा ,टीवी ,इन्टरनेट की तेज रफ़्तार हमें हमारा अतीत,"आजादी के पहले का समय " याद करने नहीं देता |सच ये है की आजकल लोग स्वतंत्रता दिवस के दिन को छुट्टी के रूप में मनाना ज्यादा पसंद करते है |
५. देवलीना सान्याल ,बदलाव की रफ़्तार सब कुछ समेट कर ले जा रही है |पैसे के लिए लोग देश को बेचने से नही चुकते वे शहीदों को क्या याद करेंगे
६. कुमार चिरंजीवी ,शहीदों को याद रखने के लिए अगर तारीखे न बनायीं गयी होती तो आज इनकी परछाई भी हमारे पास न होती |
७. रम्या कार्तिक ,समय के साथ सोच बदलती है, लक्ष्य बदलता है,१९४७ के पहले आजादी प्राप्त करना पहला ध्येय था | आज सबके पास अलग -अलग उद्देश्य है, लक्ष्य है|
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