परंपरा, कला, कारीगरी, वैभव , हर्ष -उल्लास का त्यौहार दुर्गा पूजा एक बार फिर से दस्तक दे रहा है। एक तरफ जहाँ टीवी चैनल बाढ़ की विभीषका बता रहे है, बाढ़ से पीड़ित परिवारों की व्यथा कथा सुना रहे है , एक समय की रोटी के लिए तरसते हाथ दिखा रहे है वही दूसरी ओर माँ दुर्गा का स्वागत खुले दिल से करने के लिए उसकी तैयारी पू रे -जोर शोर से चल रही है। बाजार अपने यौवन से लबरेज ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए रोज नए -नए हथकंडे अपना रहे है। ग्राहक भी नौ दिन की तैयारी योजना बद्ध होकर कर रहे है। चार दिन ( सप्तमी ,अष्टमी ,नौमी ,दशमी ) क्या खाना ,क्या पहनना , कहा घूमना आदि। जीएसटी का रोना रोते ( कुछ भी तो सस्ता नहीं है) ग्राहकों के मुंह का स्वाद तब कसैला हो जा ता है जब उन्हें अपने बिल में अतिरिक्त कर जुड़ा दिखाई देता है। फिर भी उनके जोश में कोई कमी नहीं दिखती। बंगाल की दुर्गा पूजा है ही ऐसी। विभिन्न विषयों पर आधारित ,बेजोड़ कारीगरी से तराशे गए पंडाल, उत्कृष्ट कला को जीती प्रतिमाएं , अनेक प्रकार के रंगों एवं सुन्दर आकृतियों की छटा बिखेरती विद्युत् झालरे, बरबस ही आने -जाने वालों का ध्यान आकर्षित कर लेती है। किसका पंडाल ,किसकी मूर्ति ,किसकी विद्युत् सज्जा सर्वश्रेष्ठ है ये जानने के लिए बहुत से संगठन ,कम्पनिया, मिडिया पुरस्कार घोषित करती है। सड़कों पर उमड़ती भीड़ रात की उपस्थिति को नकार देती है। बच्चें ,बड़े ,युवा सभी बेसब्री से इंतजार करते है इस त्यौहार का किन्तु युवक -युवतियों की ख़ुशी की कोई सीमा नहीं होती क्योंकि इस दौरान उनकी घडी थम जाती है। नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते , लज्जा -मर्यादा जैसी दकियानूसी सीमाओं को लांघते स्वतंत्र ख्यालों वाले युवक -युवतियां , बिना रोक -टोक देर रात तक डांडिया और दुर्गा पूजा का आनंद उठाते है। एक बाईक पर तीन -चार लोगो का बैठ कर हुड़दंग मचाते हुए निकलते है , लड़के -लड़कियों का समूह जहाँ -तहा खाता पीता ,घूमता दिखाई देता है। पाबंदी ,,भय ,अनुशासन सभी छुट्टी पर चले जाते है। ऐसे में आपराधिक तत्व भी सक्रिय हो जाते है। गाड़ियों में बैठी महिलाओं पर अश्लील भद्दे फिकरे कसना , उनकी गाड़ियों का पीछा करना, कम उम्र की बच्चिंयों को छेड़ना उनका पसंदीदा गेम है हालाकिं पुलिस मुस्तैदी से तैनात रहती है परन्तु किस गली और नुक्कड़ पर ये सिरफिरे अपनी गन्दी योजनाओ को अंजाम देंगे ये किसे पता रहता है। आजकल ,टेक्सी ,बस ,ऑटो ,उबेर कुबेर किसी पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता है अतः त्यौहार का मजा कही किरकिरा न हो जाये इसलिए पहले से ही योजना बनाते समय इस बात पर अवश्य ध्यान दे की आपकी सुरक्षा आपके हाथों में है।
Monday, 11 September 2017
हर्ष -उल्लास का त्यौहार दुर्गा पूजा
परंपरा, कला, कारीगरी, वैभव , हर्ष -उल्लास का त्यौहार दुर्गा पूजा एक बार फिर से दस्तक दे रहा है। एक तरफ जहाँ टीवी चैनल बाढ़ की विभीषका बता रहे है, बाढ़ से पीड़ित परिवारों की व्यथा कथा सुना रहे है , एक समय की रोटी के लिए तरसते हाथ दिखा रहे है वही दूसरी ओर माँ दुर्गा का स्वागत खुले दिल से करने के लिए उसकी तैयारी पू रे -जोर शोर से चल रही है। बाजार अपने यौवन से लबरेज ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए रोज नए -नए हथकंडे अपना रहे है। ग्राहक भी नौ दिन की तैयारी योजना बद्ध होकर कर रहे है। चार दिन ( सप्तमी ,अष्टमी ,नौमी ,दशमी ) क्या खाना ,क्या पहनना , कहा घूमना आदि। जीएसटी का रोना रोते ( कुछ भी तो सस्ता नहीं है) ग्राहकों के मुंह का स्वाद तब कसैला हो जा ता है जब उन्हें अपने बिल में अतिरिक्त कर जुड़ा दिखाई देता है। फिर भी उनके जोश में कोई कमी नहीं दिखती। बंगाल की दुर्गा पूजा है ही ऐसी। विभिन्न विषयों पर आधारित ,बेजोड़ कारीगरी से तराशे गए पंडाल, उत्कृष्ट कला को जीती प्रतिमाएं , अनेक प्रकार के रंगों एवं सुन्दर आकृतियों की छटा बिखेरती विद्युत् झालरे, बरबस ही आने -जाने वालों का ध्यान आकर्षित कर लेती है। किसका पंडाल ,किसकी मूर्ति ,किसकी विद्युत् सज्जा सर्वश्रेष्ठ है ये जानने के लिए बहुत से संगठन ,कम्पनिया, मिडिया पुरस्कार घोषित करती है। सड़कों पर उमड़ती भीड़ रात की उपस्थिति को नकार देती है। बच्चें ,बड़े ,युवा सभी बेसब्री से इंतजार करते है इस त्यौहार का किन्तु युवक -युवतियों की ख़ुशी की कोई सीमा नहीं होती क्योंकि इस दौरान उनकी घडी थम जाती है। नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते , लज्जा -मर्यादा जैसी दकियानूसी सीमाओं को लांघते स्वतंत्र ख्यालों वाले युवक -युवतियां , बिना रोक -टोक देर रात तक डांडिया और दुर्गा पूजा का आनंद उठाते है। एक बाईक पर तीन -चार लोगो का बैठ कर हुड़दंग मचाते हुए निकलते है , लड़के -लड़कियों का समूह जहाँ -तहा खाता पीता ,घूमता दिखाई देता है। पाबंदी ,,भय ,अनुशासन सभी छुट्टी पर चले जाते है। ऐसे में आपराधिक तत्व भी सक्रिय हो जाते है। गाड़ियों में बैठी महिलाओं पर अश्लील भद्दे फिकरे कसना , उनकी गाड़ियों का पीछा करना, कम उम्र की बच्चिंयों को छेड़ना उनका पसंदीदा गेम है हालाकिं पुलिस मुस्तैदी से तैनात रहती है परन्तु किस गली और नुक्कड़ पर ये सिरफिरे अपनी गन्दी योजनाओ को अंजाम देंगे ये किसे पता रहता है। आजकल ,टेक्सी ,बस ,ऑटो ,उबेर कुबेर किसी पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता है अतः त्यौहार का मजा कही किरकिरा न हो जाये इसलिए पहले से ही योजना बनाते समय इस बात पर अवश्य ध्यान दे की आपकी सुरक्षा आपके हाथों में है।
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