Wednesday, 23 January 2013
सेवा और आस्था को परिभाषित करते तीर्थ .
क्या तीर्थ स्थल निस्वार्थ सेवा की भावना है ,आस्था से बंधे लोगो को संतुष्टि प्रदान करते है, मानव ह्रदय में अच्छी बातों का संचार करते है या ठगी के केंद्र है ?
"सेवा और आस्था को परिभाषित करते तीर्थ"
बिधुना (जिला औरैया ) में इस विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमे तमाम गणमान्य लोगो ने अपने विचार रखे ।
'द वेक ' के संरक्षक भुवनेश्वर नाथ मिश्र |
'द वेक' पत्रिका की संपादिका शकुन त्रिवेदी |
कार्यक्रम के उपरांत विश्राम के क्षण |
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